इतनी सहनशक्ति आखिर कहाँ से लायी तुम माँ ? इतनी सहनशक्ति आखिर कहाँ से लायी तुम माँ ?
पर तुम पर मैं कुछ लिख सकूँ अभी, इतना कहाँ मुझे आता है ! पर तुम पर मैं कुछ लिख सकूँ अभी, इतना कहाँ मुझे आता है !
ज़माने भर की ज़ुबां पर लगा ताला थे पापा...! ज़माने भर की ज़ुबां पर लगा ताला थे पापा...!
अब बारी मेरी है कि फिर से थाम लूँ मैं वो उंगली तुम्हारी… अब बारी मेरी है कि फिर से थाम लूँ मैं वो उंगली तुम्हारी…
हे माँ, लोग तेरा स्वार्थरहित दिल क्यों तोड़ते है, स्वार्थ से परे, अपना मुख क्यों मोड़ते है| हे माँ, लोग तेरा स्वार्थरहित दिल क्यों तोड़ते है, स्वार्थ से परे, अपना मुख क्यों...
आपका सिर पर हाथ रहे सदा बस यही अरमान लिखूंं...। आपका सिर पर हाथ रहे सदा बस यही अरमान लिखूंं...।